राष्ट्रपिता महात्मा गांधी-लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर वृहद विचार गोष्ठी आयोजित, महापुरुषों के आदर्शों को आत्मसात करने का किया गया आह्वान
सुन्दर लाल शर्मा गौतम बुद्ध नगर

गौतमबुद्धनगर, 02 अक्टूबर 2024
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती के अवसर पर कलेक्ट्रेट सभागार में आज एक वृहद विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रभारी जिलाधिकारी/एडीएम (भू0अ0) राजेश कुमार सिंह ने दोनों महापुरुषों के चित्रों पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किए और उनके जीवन-दर्शन को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया।
इस अवसर पर प्रभारी जिलाधिकारी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री केवल व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचारधारा हैं। गांधीजी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांत तथा शास्त्री जी के ‘जय जवान, जय किसान’ का संदेश आज भी प्रासंगिक है। हमें चाहिए कि उनके आदर्शों को आत्मसात कर समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान दें।” उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर गांधीजी की विचारधारा को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मान्यता मिली है, जो भारत के लिए गौरव की बात है।
कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भी अपने विचार साझा किए और कहा कि गांधीजी के सत्य-अहिंसा के मार्ग तथा शास्त्री जी के सादगीपूर्ण जीवन और अनुशासन से प्रेरणा लेकर हमें अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करना चाहिए।
इस अवसर पर एडीएम भू0अ0 बच्चू सिंह, एडीएम न्यायिक भैरपाल सिंह, एडीएम प्रशासन मंगलेश दुबे, डिप्टी कलेक्टर चारुल यादव एवं वेद प्रकाश पांडे, जिला आबकारी अधिकारी सुबोध कुमार, जिला अभिहित अधिकारी (फूड विभाग) सर्वेश मिश्रा, सूचना विभाग के वरिष्ठ लेखाकार अरुण कुमार सहित कलेक्ट्रेट के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।
इसी क्रम में मुख्य विकास अधिकारी डॉ. शिवाकांत द्विवेदी की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में भी विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य विकास अधिकारी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धा सुमन समर्पित किए।
उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “गांधीजी और शास्त्री जी ने हमें सत्य, अनुशासन और सादगी के माध्यम से सेवा और नेतृत्व का जो आदर्श दिया है, वह आज के दौर में और भी अधिक प्रासंगिक है। यदि हम इन आदर्शों को अपने कार्य और आचरण में उतार लें, तो न केवल राष्ट्र बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएगा।”
विकास भवन के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने भी दोनों महापुरुषों के आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प लिया।