कोई चलता है पदचिह्नों पर… कोई पदचिह्न बनाता है। बस वही सूरमा वार पुरूष दुनिया में पूजा जाता है।” अपने पदचिह्नों की अमिट छाप छोड़कर दुनिया से जाने वाला ऐसा ही एक नाम है – स्वर्गीय श्री राजपाल त्यागी। एक ऐसा व्यक्तित्व, जिसने अपने जीवन को जनसेवा का पर्याय बना दिया।”
सुन्दर लाल शर्मा गौतम बुद्ध नगर

बागपत ज़िले के गॉंव मुकारी की मिट्टी में जन्मा यह साधारण सा बालक आगे चलकर बना एक असाधारण जनप्रिय
नेता।
गाज़ियाबाद बार एसोसिएशन के इतिहास में सबसे कम उम्र के सचिव और अध्यक्ष बने राजपाल त्यागी ने सिविल के बेहतरीन वकील के रूप में पहचान बनायी लेकिन उनका मन वकालत में नहीं लगा।क्योंकि उनका मकसद था “ जनता की सेवा” और इस सेवा का रास्ता उन्होंने राजनीति में चुना
दस वर्षों तक वे कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रहे – वो दौर जब यह पद सम्मान और जिम्मेदारी का प्रतीक हुआ करता था।
राजपाल त्यागी जी छह बार विधायक चुने गए।जिसमें 2 बार तो निर्दलीय निर्वाचित हुये।
2 बार उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार
एवं 2 बार केबिनेट मंत्री रहे।
आज तक गाज़ियाबाद एवं उसके आस पास के जिलों में किसी अन्य नेता के हिस्से में ऐसी उपलब्धि नहीं आई।
चुनाव चाहे निर्दलीय लड़ा हो, या कांग्रेस, समाजवादी पार्टी या बहुजन समाज पार्टी से – जनता ने हमेशा उन्हें अपना आशीर्वाद दिया।
क्योंकि वे केवल नेता नहीं थे, जनता के अपने प्रिय नेता थे।
क्षेत्र की हर गली, हर गांव के लोगों को वह नाम से जानते थे और क्षेत्र को लोग उनको अपने परिवार का सदस्य के रूप में स्नेह करते थे।
उनकी सादगी और ईमानदारी की मिसाल थी कि किसी भी राजनीतिक दल के लिए वे भरोसे का नाम बन गए।
अपने पूरे जीवन में उन्होंने अपराधियों से दूरी बनाए रखी।..न कभी सिफारिश, न समझौता..ना दिखावा, ना लोभ,….सिर्फ सेवा।
इतने लम्बे कार्यकाल में भी कभी विधायक निधि का एक रुपये का भी निजी लाभ नहीं लिया, ना कभी पर्यटन किया, ना विश्राम,हमेशा सादा जीवन जिया।
दिल्ली के समीप होने के बावजूद, उन्होंने कभी वहां बड़े नेताओं के यहाँ हाजिरी लगाना उचित नहीं समझा, मुरादनगर की जानता को अपना परिवार मानकर मुरादनगर के लोगो के बीच ही रहे !
वे ज़मीन से जुड़े नेता थे – जनता के बीच के नेता।
ग्रामीण विकास मंत्री रहते हुए उन्होंने विकास को प्राथमिकता दी।
इतनी बड़ी राजनीतिक पृष्ठभूमि के बावजूद जीवनभर एक साधारण MIG मकान में रहे।
21वीं सदी में, जब राजनीति में दिखावा आम हो गया है, राजपाल त्यागी जैसे नेता दुर्लभ हैं।
उनकी अंतिम यात्रा इसका प्रमाण थी – भारी बारिश और कांवड़ यात्रा के बावजूद हजारों लोग श्रद्धांजलि देने उमड़ पड़े।उनके देहांत के बाद भी सुबह 7 बजे से ही उनके निवास स्थान पर भारी जन सैलाब प्रतिदिन रात्रि तक आना उसका जीता जागता प्रमाण है ।
आज उनके दिखाए रास्ते पर चलकर, उनके सुपुत्र श्री अजीतपाल त्यागी दो बार भाजपा से विधायक निर्वाचित होकर उसी समर्पण भाव से जनता की सेवा कर रहे हैं।
हम सबकी ओर से अपने प्रिय नेता स्वर्गीय श्री राजपाल त्यागी जी को कोटि-कोटि श्रद्धांजलि।
ईश्वर से प्रार्थना है कि उस पुण्य आत्मा को शांति प्रदान करें।