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प्रधानमंत्री अरुणाचल प्रदेश में NEEPCO की प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे

सुन्दर लाल शर्मा गौतम बुद्ध नगर

 

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 22 सितम्बर 2025 को अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर जाएंगे और नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (NEEPCO) की दो बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे।
इन परियोजनाओं में हियो जल विद्युत परियोजना (240 मेगावाट) और टाटो-1 जल विद्युत परियोजना (186 मेगावाट) शामिल हैं। इन परियोजनाओं की अनुमानित लागत 3,700 करोड़ रुपये से अधिक है। इन्हें NEEPCO और अरुणाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त उपक्रम के रूप में विकसित किया जा रहा है। हियो परियोजना (3×80 मेगावाट), जो शियोमी ज़िले के सियॉम उप-बेसिन में स्थित है

सालाना लगभग 1000 मिलियन यूनिट बिजली पैदा करेगी। वहीं, टाटो-1 परियोजना (3×62 मेगावाट) सालाना लगभग 803 मिलियन यूनिट बिजली उत्पन्न करेगी।
ये दोनों परियोजनाएँ अरुणाचल प्रदेश की विशाल जलविद्युत क्षमता का दोहन करेंगी और निरंतर और विश्वनीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देंगी। इससे क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सामाजिक और आर्थिक लाभ होंगे तथा नए रोज़गार के अवसर भी पैदा होंगे। ये पहल राज्य को विकास को एक नई दिशा में ले जाएँगी और नागरिकों के लिए उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेंगी।
हियो और टाटो-1 दोनों परियोजनाएँ मिलकर भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को मजबूत बनाएंगी। इससे अरुणाचल प्रदेश की ऊर्जा और विकास की तस्वीर बदलेगी तथा पूरे देश के बिजली क्षेत्र को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। इन परियोजनाओं का उद्देश्य 2047 तक विकसित भारत (विकसित भारत) के लक्ष्य को पूरा करना है।
नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (NEEPCO) की स्थापना 1976 में हुई थी और यह पूर्वोत्तर भारत में बिजली उत्पादन की रीढ़ मानी जाती है। इसने क्षेत्र की अपार जलविद्युत क्षमता को उपयोग में लाने का सपना साकार किया है। 2020 से यह NTPC लिमिटेड की सहायक कंपनी है और वर्तमान में इसके पास 2,057 मेगावाट की स्थापित क्षमता है, जिसमें जलविद्युत, गैस आधारित और सौर परियोजनाएँ शामिल हैं।
NTPC लिमिटेड भारत की सबसे बड़ी एकीकृत बिजली कंपनी है, जो देश की कुल बिजली ज़रूरतों का लगभग एक चौथाई हिस्सा पूरा करती है। इसके पास 83 गीगावाट की स्थापित क्षमता है और 30.90 गीगावाट क्षमता निर्माणाधीन है, जिसमें 13.3 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा शामिल है। कंपनी का लक्ष्य 2032 तक 60 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करना है, जिससे भारत के नेट ज़ीरो लक्ष्यों को मजबूती मिलेगी।

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